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सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
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13:08, 3 मई 2009
यूँ मुद्दई हसद से न दे दाद तू न दे <br>
आतिश ग़ज़ल ये तूने कही आशिक़ाना क्या?
*[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/ Bazm-E-Jagjit]
विनय प्रजापति
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