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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 8|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 10|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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<poem>
सोच अरे बावरे कर्म से ही तो बना जगत मधुकर
चल उसके संग रच एकाकी एक प्रीति पंकिल निर्झर