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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 9|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 11|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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<poem>
जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर
सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर