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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 10|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 12|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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संश्लेषित जीवन मधुवन को खंड खंड मत कर मधुकर
मधुप दृष्टि ही सृष्टि तुम्हारी वह मरुभूमि वही निर्झर