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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 17|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 19|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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<poem>
वह अनकहे स्नेह चितवन से उर में धँस जाता मधुकर
इस जीवन के महाकाव्य की सबसे सरस पंक्ति निर्झर