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|रचनाकार= रामधारी सिंह "दिनकर"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1|आगे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,
गूँज रही थी मात्र कर्ण की धन्वा की टंकार।
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