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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 5|आगे=रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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लगे लोग पूजने कर्ण को कुंकुम और कमल से,
कहते हुए -'पार्थ! पहुँचा यह राहु नया फिर कौन?
 
 
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