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|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 5|आगे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
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'वीर वही है जो कि शत्रु पर जब भी खड्‌ग उठाता है,
एकलव्य-सा नहीं अँगूठा क्या मेरा कटवाते वे?
 
 
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