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|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 5|आगे=रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 7|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
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"विक्रमी पुरुष लेकिन सिर पर,
निर्धन को भरती रहे सदा.
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