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|नाम=शब्दकमल खिला है
|रचनाकार=[[विश्वरंजन]]
|प्रकाशक=प्रकाशन संस्थान, दिल्ली
|वर्ष=1999
|भाषा=हिन्दी
* [[ हम-तुम मिल कर उसमें हज़ारों फूल खिलाएँगे/ विश्वरंजन]]
* [[ शक्ति स्पंदन/ विश्वरंजन]]
* [[ मैं अंदर आ कैनवास और रंगों से खेलने लगता हूँ/ विश्वरंजन]]
* [[ हम और तुम अब कहीं नहीं जाएँगे/ विश्वरंजन]]
* [[ मेरा दूर निकल जाना तुम्हारे लिए मेरा प्यार है/ विश्वरंजन]]
* [[ हम खेलेंगे...और हमारे बच्चे मुस्कराएँगे एक वयस्क मुस्कान/ विश्वरंजन]]
* [[ प्यार/ विश्वरंजन]]
* [[ ...और मैं बेहद डर जाता हूँ/ विश्वरंजन]]
* [[ पुनः सचमुच हो जाए प्यार/ विश्वरंजन]]
* [[ कविता का होना/ विश्वरंजन]]
* [[ तुम्हें देखकर साँसें रुक जाती है सहसा/ विश्वरंजन]]
* [[ बहुत सारा प्यार देना चाहता हूँ आज/ विश्वरंजन]]
* [[ आकाश सी फैल गई है हमारी दोस्ती/ विश्वरंजन]]
* [[ नन्हा बालक/ विश्वरंजन]]
* [[ सन्नाटे को फाड़ती है एक मासूम बच्चे की रोने की आवाज़/ विश्वरंजन]]
* [[ बैठकखाने में पड़ा बैचारा बुद्ध/ विश्वरंजन]]
* [[ रात में पेड़...कुछ तारे/ विश्वरंजन]]
* [[ पतंग/ विश्वरंजन]]
* [[ / विश्वरंजन]]
* [[ / विश्वरंजन]]
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* [[ / विश्वरंजन]]
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