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पद / गोरखनाथ

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कवि: [[गोरखनाथ]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=गोरखनाथ]][[Category:पद]] ~*~*~*~*~*~*~*~ |संग्रह=}}
रहता हमारै गुरु बोलेये, हम रहता का चेला ।