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|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
}}
[[Category:कवितायें]]<poem>
क्या हुआ आपको?
 
क्या हुआ आपको?
 
सत्ता की मस्ती में
 
भूल गई बाप को?
 
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
 
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
 
क्या हुआ आपको?
 
क्या हुआ आपको?
 
आपकी चाल-ढाल देख- देख लोग हैं दंग
 
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग
 
सच-सच बताओ भी
 
क्या हुआ आपको
 
यों भला भूल गईं बाप को!
 
छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको
 
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको
 
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
 
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में
 
शासन का नशा घुला ख़ून में
 
फूल से भी हल्का
 
समझ लिया आपने हत्या के पाप को
 
इन्दु जी, क्या हुआ आपको
 
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
 
बचपन में गांधी के पास रहीं
 
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं
 
अब क्यों उलट दिया 'संगत' की छाप को?
 
क्या हुआ आपको, क्या हुआ आपको
 
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को
 
इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी...
 
रानी महारानी आप
 
नवाबों की नानी आप
 
नफ़ाख़ोर सेठों की अपनी सगी माई आप
 
काले बाज़ार की कीचड़ आप, काई आप
 
सुन रहीं गिन रहीं
 
गिन रहीं सुन रहीं
 
सुन रहीं सुन रहीं
 
गिन रहीं गिन रहीं
 
 
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को
 
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को
 
सुन रहीं गिन रहीं
 
एक-एक टाप को
 
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की
 
एक-एक टाप को...
 
छात्रों के ख़ून का नशा चढ़ा आपको
 
यही हुआ आपको
यही हुआ आपको
'''(१९७४ में रचित,'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' नामक संग्रह से )</Poem>
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