{{KKRachna
|रचनाकार=नागार्जुन
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
}}
[[Category:कवितायें]]<poem>
तुमसे क्या झगड़ा है
हमने तो रगड़ा है--
इनको भी, उनको भी, उनको भी !
दोस्त है, दुश्मन है
ख़ास है, कामन है
छाँटो भी, मीजो भी, धुनको भी
लँगड़ा सवार क्या
बनना अचार क्या
सनको भी, अकड़ो भी, तुनको भी
चुप-चुप तो मौत है
पीप है, कठौत है
बमको भी, खाँसो भी, खुनको भी
तुमसे क्या झगड़ा है
हमने तो रगड़ा है
इनको भी, उनको भी, उनको भी !
'''(1978 में रचित)</Poem>