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अहले-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं<br>
एक हम ही नहीं दुनिया से खफा ख़फ़ा और भी हैं<br><br>
हम पे ही ख़त्म नहीं मस्लक-ए-शोरीदासरी<br>
चाक दिल और भी हैं चाक कबा क़बा और भी हैं<br><br>
क्या हुआ अगर गर मेरे यारों की ज़ुबानें चुप हैं<br>
मेरे शाहिद मेरे यारों के सिवा और भी हैं<br><br>
जान बाकी है तो पैकान-ए-कज़ा और भी हैं<br><br>
मुंसिफमुंसिफ़-ए-शहर की वहदत पे ना हरफ न हर्फ़ आ जाये<br>लोग कहते हैं की कि अरबाब-ए-जफ़ा और भी हैं