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बादल बरसै मूसलधार<br>
चरवाहा आमों के नीचे खडा खड़ा किसी को रहा पुकार<br>
एक रस जीवन पावस अपरम्पार<br>
मेघों का उस क्षितिजकूल तक पता न पाऊँ<br>