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बादल बरसै मूसलधार / प्रभाकर माचवे
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14:02, 31 अगस्त 2006
बादल बरसै मूसलधार<br>
चरवाहा आमों के नीचे
खडा
खड़ा
किसी को रहा पुकार<br>
एक रस जीवन पावस अपरम्पार<br>
मेघों का उस क्षितिजकूल तक पता न पाऊँ<br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त