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सलाह / इब्बार रब्बी

75 bytes added, 18:54, 11 मई 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=इब्बार रब्बी
|संग्रह=लोगबाग / इब्बार रब्बी
}}
<poem>
शेर ने सलाह दी
 
खरगोश ने
 
शेर हिरन को खा गया
 
भेडियों को भगा दिया
 
खा गया नील गाय को
 
शेर को सलाह दी खरगोश ने
 
वह हाथी को मार आया
 
सुनसान हो गया सारा जंगल
 
कुछ नहीं बचा खाने को
 
भाँय-भाँय कर रहा था
 
शेर के पेट का कुआँ
 
उसने पुकारा खरगोश को
 
वह अपने सदाबहार बिल से
 
बाहर आया
 
शेर उसे चट कर गया ।
</Poem>
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