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प्रेम: एक परिभाषा / प्रभाकर माचवे
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13:31, 31 अगस्त 2006
गीत दिवारात<br>
गा रहा अशान्त<br>
प्रेम
आत्मा
आत्म
-विस्मृत पर
ल्क्ष्य
लक्ष्य
-च्युत शिकारी ।<br>
प्रेम वह प्रसन्न<br>
खेत में निरन्न<br>
दुर्भिक्षावसन्न<br>
सृजक कृषक खडा दीन अन्नाधिकारी ।<br><br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त