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आदम का जिस्म जब के अनासर से मिल बना / सौदा
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06:26, 15 मई 2009
कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना
सरगर्म-ए-नाला आज कल मैं भी हूँ अन्द्लीब
मत आशियाँ चमन में मेरे मुत्तसिल बना
द्विजेन्द्र द्विज
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