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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>दिल में जब दर्द जगा हो, तो लिखा जाता है,घाव सीने पे लगा हो, तो लिखा जाता है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ख़ुशी के दौर में लब गुनगुना ही लेते हैंग़म-ए-फ़ुरकत में भी गाओ, तो लिखा जाता है
हाल-ए-दिल में जब दर्द जगा होखोल के रखना, तो लिखा जाता बहुत आसां है,<br>घाव सीने पे लगा हाल-ए-दिल दिल में छुपा हो, तो लिखा जाता है<br><br>
ख़ुशी के दौर में लब गुनगुना ही लेते हैं<br>अपनी खु़द्दारी पे हम, लाख करें नाज़ ऐ दोस्तग़म-ए-फ़ुरकत में भी गाओअपनी हस्ती को मिटाओ, तो लिखा जाता है<br><br>
हाल-ए-दिल खोल के रखनागैर अपनों को बनाना, तो बहुत आसां है<br>भी कोई होगा हुनरहाल-ए-दिल दिल में छुपा होगैरों को अपनी बनाओ, तो लिखा जाता है <br><br>
अपनी खु़द्दारी पे हमबनी तस्वीर जो टूटे, लाख करें नाज़ ऐ दोस्त<br>तो गम तो होता हैअपनी हस्ती को मिटाओटूटी तस्वीर बनाओ, तो लिखा जाता है<br><br>
गैर अपनों को बनानायूं तो इक रोज फ़ना, भी कोई होगा हुनर<br>सबने ही होना है यहांगैरों को अपनी बनाओजान का दांव लगाओ, तो लिखा जाता है<br><br>
बनी तस्वीर जो टूटे, तो गम तो होता है<br>टूटी तस्वीर बनाओ, तो लिखा जाता है<br><br> यूं तो इक रोज फ़ना, सबने ही होना है यहां<br>जान का दांव लगाओ, तो लिखा जाता है<br><br> लोग फिरते हैं यहां, पहने ख़ुदाई जामा<br>ख़ुद को इन्सान बनाओ, तो लिखा जाता है<br><br/poem>
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