Changes

{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>नज़र में जो हों, उन नज़ारों को पूजोकहीं चश्मों, नदियों, पहाड़ों को पूजो
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालयसमाधी व रोज़ा, मज़ारों को पूजो
नज़र में जो होंकभी पूजो गर्मी, उन नज़ारों को कभी पूजो<br>सर्दीकहीं चश्मों, नदियोंखिज़ां को कभी, पहाड़ों फिर बहारों को पूजो<br><br>
कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालय<br>बुत को, कभी बुतकदों कोसमाधी कभी चांद सूरज रोज़ा, मज़ारों तारों को पूजो<br><br>
कभी पूजो गर्मीपूजा करते हो, कभी पूजो सर्दी<br>वीरान राहेंखिज़ां को कभी, फिर बहारों जा के उजडे़ दयारों को पूजो<br><br>
कभी पूजो बुत जिन्हें देखा भाला, नहीं आज तक हैउन्हीं आसरों को, कभी बुतकदों को<br>कभी चांद सूरज व तारों सहारों को पूजो<br><br>
कभी यहां लोग मिलते हैं पूजा करते हो, वीरान राहें<br>के काबिलकरिश्मों कभी जा के उजडे़ दयारों चमत्कारों को पूजो<br><br>
जिन्हें देखा भालायूं मुर्दों को सजदे, नहीं आज बजाओगे कब तक है<br>उन्हीं आसरों कोजो है पूजना, सहारों जानदारों को पूजो<br><br>
यहां लोग मिलते हैं पूजा के काबिल<br>तुम्हें अपने घर पर ही मिल जाएंगे वोकरिश्मों कभी चमत्कारों जो हकदार हैं, उन बेचारों को पूजो<br><br>
यूं मुर्दों को सजदे, बजाओगे कब तक<br>जो है पूजना, जानदारों को पूजो<br><br> तुम्हें अपने घर पर ही मिल जाएंगे वो<br>जो हकदार हैं, उन बेचारों को पूजो<br><br> भला ‘तेज’ ने, कब तुम्हें आ के टोका<br>जो हैं पूजने योग सारों को पूजो<br><br/poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits