Changes

}}
[[रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7|<< पिछला भाग]]
[[रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7|<< प्रथम सर्ग / भाग 7]] | [[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2| द्वितीय सर्ग / भाग 2 >>]]
 शीतल, विरल एक कानून कानन शोभित अधित्यका के ऊपर,
कहीं उत्स-प्रस्त्रवण चमकते, झरते कहीं शुभ निर्झर।
लौह-दण्ड पर जड़ित पड़ा हो, मानो, अर्ध अंशुमाली।
 [[रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7|<< प्रथम सर्ग / भाग 7]] | [[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2|अगला द्वितीय सर्ग / भाग 2 >>]]