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खण्ड तीन / रामधारी सिंह "दिनकर"
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15:56, 16 मई 2009
भारत का पूरा पाप उतर जायेगा;<br><br>
देखोगे, कैसा प्रलय चण्ड होता है !<br>
असिवन्त हिन्द कितना प्रचण्ड होता है !<br><br>
बाँहों से हम अम्बुधि अगाध थाहेंगे,<br>
विकास
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