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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 2

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|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'" |संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
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श्रद्धा बढ़ती अजिन-दर्भ पर, परशु देख मन डरता है,
पड़ती मुनि की थकी देह पर और थकान मिटाती है।
 
 
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