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तुम्हारी आँखें तुम्हारी पलकें कहानियाँ सी सुना रही हैं
मैं दोस्तों और साथियों में घिरा हुआ हूँ
मसर्रतों१ मसर्रतों<ref>आनंद</ref> के गुलाब हर सिम्त२ सिम्त<ref>तरफ़</ref>खिल रहे हैं
तुम्हारी आँखों के फूल गोया महक रहे हैं
मिरी महब्बत ने अपनी जन्नत का हुस्न देखा
तुम्हारी आँखें पे मेरी नज़रों के प्यार बरसे
मिरी उमीदोंउम्मीदों, मिरी तमन्नाओं ने सदा दी
यह नफ़रतों की अज़ीम मश्‌अ़ल जलाये रखना
कि यह महब्बत के दिल का शो’ला है जिसकी रंगीन रौशनी में
कँवल की कलियाँ जो मेरे दिल में खिली हुई हैं
 उन्हीं से दो और आँखें बेदार३ बेदार<ref>जाग़्रत</ref> हो गई हैं
वो नन्हे-नन्हे चमकते हीरों की नन्ही कनियाँ
जो मेरी आँखों का नूर लेकर तुम्हारे आँचल से झाँकती हैं
फिर और आँखें, फिर और आँखें, फिर और आँखें
यह सिलसिला ता-अबद <ref>हमेशा</ref> रहेगाज़माने की गोद में सितारों के हुस्न की नदियाँ बहेंगी,
वो सब तुम्हारी
वो सब हमारी ही आँखें होंगी
हमारी आँखें कि जिनसे शो’ले बरस रहे हैं
मगर वह कल का हसीन दिन देखो कितना नज़्दीक नज़दीक आ गया है
हमारी आँखों से जब बहारें छलक पड़ेंगी
===========================================१.आनंद २.तरफ़ ३.जाग्रत</poem>{{KKMeaning}}