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एहसास / जाँ निसार अख़्तर
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10:55, 20 मई 2009
हर सनम साज़ ने मर-मर से तराशा तुझको
पर ये पिघली हुई रफ़्तार कहाँ से लाता
तेरे पैरों में तो पाज़ेब
पेहनदी
पहना दी
लेकिन
तेरी पाज़ेब की झनकार कहाँ से लाता
Ysjabp
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