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उस बज़्म में मुझे नहीं बनती हया किये / ग़ालिब
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18:43, 20 मई 2009
मैं और जाऊँ दर से तेरे बिन सदा किये <br><br>
रखता फिरूँ हूँ ख़ीर्क़ा-ओ-सज्जादा रहन-ए-
मै
मय
<br>
मुद्दत हुई है दावत-ए-आब-ओ-हवा किये <br><br>
हेमंत जोशी
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