गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ज़ुल्मतकदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है / ग़ालिब
No change in size
,
20:08, 20 मई 2009
ये जन्नत-ए-निगाह वो फ़िर्दौस-ए-गोश है <br><br>
य सुभ दम जो
देखीये
देखिये
आकर तो बज़्म में <br>
ना वो सुरूर-ओ-सोज़ न जोश-ओ-ख़रोश है <br><br>
हेमंत जोशी
Mover, Uploader
752
edits