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ये जन्नत-ए-निगाह वो फ़िर्दौस-ए-गोश है <br><br>
य सुभ दम जो देखीये देखिये आकर तो बज़्म में <br>
ना वो सुरूर-ओ-सोज़ न जोश-ओ-ख़रोश है <br><br>
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