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मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' / पृष्ठ - ३३
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|रचनाकार=प्रेम नारायण
’पंकिल’
'पंकिल'
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ज्यों तारक जल जल करते हैं धरती को शीतल मधुकर
नीर स्वयं जल जल रखता है यथा सुरक्षित पय निर्झर
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