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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'
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वह विराम जानता न क्षण क्षण झाँक झाँक जाता मधुकर
दुग्ध धवल फूटती अधर से मधुर हास्य राका निर्झर