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सरे-तूर / अली सरदार जाफ़री
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05:28, 22 मई 2009
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"क्या फ़र्ज़ है कि सबको मिले एक-सा जवाब
आओ न हम भी सैर करें कोहे-
तुर
तूर
की"
-गा़लिब
दिल को बेताब रखती है इक आरज़ू
चंद्र मौलेश्वर
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