दो शे’र{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=====अली सरदार जाफ़री }}[[Category: शेर ]]<poem>
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है
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तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम१ अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है
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१.चाँद और तारों का जमघट{{KKMeaning}}</poem>