गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
क़त्आ / अली सरदार जाफ़री
No change in size
,
15:56, 23 मई 2009
=====
दौरे-मय
दौरे_मय
ख़त्म हुआ, ख़त्म हुई
सुह्बते-शब
सुह्बते_शब
<ref>रात्रि-मिलन</ref>
हो चुकी सुब्ह मगर रात अभी बाकी़ है
ऐसा लगता है कि बिछड़ी है
अबी
अभी
मिलके नज़र
ऐसा लगता है मुलाक़ात अभी बाक़ी है
{{KKMeaning}}
</poem>
चंद्र मौलेश्वर
Mover, Uploader
943
edits