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बहारों ने मेरा चमन लूटकर / आनंद बख़्शी
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06:39, 24 मई 2009
<poem>
बहारों ने मेरा चमन लूटकर
खिज़ां को ये इल्ज़ाम क्यों दे दिया
किसीने चलो दुश्मनी की मगर
इसे दोस्ती नाम क्यों दे दिया
Upadhyaya
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