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कवि: [[माखनलाल चतुर्वेदी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी]] ~*~*~*~*~*~*~*~ |संग्रह= }}
संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं