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ग्राम श्री / सुमित्रानंदन पंत
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15:07, 25 मई 2009
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
|संग्रह=
}
}
फैली खेतों में दूर तलक<br>
मख़मल की कोमल हरियाली,<br>
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