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हाँ किस को है मयस्सर ये काम कर गुज़रना / जिगर मुरादाबादी
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21:33, 25 मई 2009
इक बाँकपन से जीना इक बाँकपन से मरना
दरिया की ज़िन्दगी पर
सद्क़े
सदक़े
हज़ार
जाने
जानें
मुझ को नहीं गवारा साहिल की मौत मरना
इक मौज-ए-तह-नशीं का मुद्दत के बाद उभरना
जो
ज़िस्त
ज़ीस्त
को न समझे जो मौत को न जाने
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना
हेमंत जोशी
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