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थे कल जो अपने घर में वो महमाँ कहाँ हैं / ज़फ़र
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19:02, 27 मई 2009
जो खो गये हैं या रब वो औसाँ कहाँ हैं <br><br>
आँखों में रोते
-
रोते नम भी नहीं अब तो <br>
थे मौजज़न जो पहले वो तूफ़ाँ कहाँ हैं <br><br>
कुछ और ढब अब तो हमें लोग देखते हैं <br>
पहले जो ऐ "ज़फ़र" थे वो इन्साँ कहाँ हैं
हेमंत जोशी
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