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तुम कभी थे सूर्य / चंद्रसेन विराट
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15:58, 28 मई 2009
थे कभी दुल्हा स्वयं बारातियों तक आ गये ।।
वक्त का पहिया किसे
कब कहां
कुचले
कहां कब
क्या
पता ।
पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये ।।
अनूप.भार्गव
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