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जिजीविषा / रवीन्द्र दास
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12:39, 29 मई 2009
<poem>
न रहेगा कोलगेट
और न रहेगा कंप्यूटर
रहेगा सादा पानी ,
मेरी कविता
और मैं ...
.
मैं यानि मेरी इच्छाएं
मैं अक्सर सोचता हूँ
मैं अक्सर चाहता हूँ
मैं
..
...
यानि
यानी
मेरी दुनिया
अनंत आकाश में
अनंत विचरते हुए मेरे अनंत स्वप्न.
</poem>
अनिल जनविजय
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