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माँ! / कविता वाचक्नवी
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}}
<poem>
'''माँ'''
वे मधुवांछी
अभिलाषी जन
पूरा घिरा
प्राणतल मेरा।
अभ्यासों से
पुनर्जन्म पा-पा
अनिल जनविजय
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