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माँ! / कविता वाचक्नवी

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}}
<poem>
'''माँ'''
 
 
वे मधुवांछी
अभिलाषी जन
पूरा घिरा
प्राणतल मेरा।
 
 
अभ्यासों से
पुनर्जन्म पा-पा
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