गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
माँ! / कविता वाचक्नवी
21 bytes added
,
20:07, 5 जून 2009
पूरा घिरा
प्राणतल मेरा।
:::
अभ्यासों से
:::
पुनर्जन्म पा-पा
:::
मिट जातीं
:::
ईखों की अजस्र
:::
मृदुधारा को
:::
लपटें
:::
निःशेष करातीं।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits