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09:19, 7 जून 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
<poem>
'''दुपहरी'''
हमने
कागज़-सी चिट्टी
कुरकुरी दुपहरी
भरकर दो नामों से
छिपकर
हँसकर
एक बेंच पर
चिपका दी
:::: मरुगंधों से
:::: लिपट
:::: स्वेद का
:::: सौंधापन
:::: फड़फड़ा रहा है।
</poem>