गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अशवों को चैन ही नहीं आफ़त किये बगैर / जोश मलीहाबादी
2 bytes added
,
18:26, 9 जून 2009
}}
अशवों को चैन
ही
नहीं आफ़त किये बगैर
तुम, और मान जाओ शरारत किये बगैर!
अहल-ए-नज़र को यार दिखाना
रह
राह
-ए-वफ़ा
ए
ऐ
काश! ज़िक्र-ए-दोज़ख-ओ-जन्नत
के
किये
बगैर
ए
ऐ
हमनशीं मुहाल है नासेह का टालना
यह, और यहाँ से जाएँ नसीहत किये बगैर
हेमंत जोशी
Mover, Uploader
752
edits