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|रचनाकार=केशव.(रीतिकालीन कवि)
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[[Category:छंद]]
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जौँ हौँ कहौँ रहिये तो प्रभुता प्रगट होत ,चलन कहौँ तौ हित हानि नाहीँ सहनो ।सहनो।भावै सो करहु तौ उदास भाव प्राण नाथ ,साथ लै चलहु कैसो लोक लाज बहनो ।बहनो।केशोदास की सोँ तुम सुनहु छबीले लाल ,चले ही बनत जो पै नाहीँ राज रहनो ।रहनो।जैसिये सिखाओ सीख तुम ही सुजान प्रिय ,तुमहिँ चलत मोहि जैसो कछु कहनो ।कहनो।
'''केशव. का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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