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जीवन का करो क्या ?<br />
जो किसि षड्यंत्र मे<br />छलछंद में शामिल नहीं था <br />पी गया सारा हलाहल<br />हो गया कैसे अमर ?<br />पा गया साम्राज्य <br />’शिव’- संग्या सहित<br />शिवलोक का --<br />कर रहा कल्याण सारे विश्व का !<br />
सुर - असुर सब पूजते<br />उसको निरंतर<br />साध्य सबका बन गया <br />कर्म मे कोई कलुष<br />जिसके नहीं है<br />शीश पर नीलाभ नभ<br />खुद छत्र बनकर तन गया !<br />
जो कुटिलता से जियेंगे<br />वे सदा विचलित रहेंगे<br />त्राण-त्राता के लिये<br />मारे फिरेंगे !<br />
हक पराया मारकर <br />छलछंद से छीना हुआ<br />अम्रित अगर मिल भी गया तो <br />आप उसका पान करके<br />उम्र भर फिर क्या करेंगे ?<br />
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