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मधुशाला / भाग ४ / हरिवंशराय बच्चन
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01:22, 8 जुलाई 2008
यह अंितम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है,<br>
पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला।८०।<br><br>
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