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|संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह 'दिनकर'
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'शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर!
 
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मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,