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रचना / अरुणा राय
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13:30, 23 जून 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुणा राय
|संग्रह=
}}<poem>
जब कोई बात
मेरी समझ में आती है
और
कल को उसे खड़ी पाती हूं ...
</poem>
Pratishtha
KKSahayogi,
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,
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