{{KKRachnakaarParichay|रचनाकार=बहादुर शाह ज़फ़र}}सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र का पुरा नाम अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र। वे हिन्दुस्तान तथा मुघल सलतनत के अन्तीम मुघल सम्राट थे। 1838 में उनका राज्याभिशेक के समय दिल्ली के बादशाह का हुकुमत सिर्फ दिल्ली शहर का सीमाऔं तक ही सिमित थीं।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने उनके दोनो बेटों मिर्ज़ा मुघल और ख़िज़ार सुलतान का सर काट कर थाली पर उनके पास भेजा था और उनको बर्मा के रेंगुन में तड़िपार
का सजा दे कर भेजा था। वही पर उनका देहान्त हुआ 1862 में। उस जगह को अब बहादुर शाह ज़फ़र दरगाह के नाम से पुकारा जाता है। मुघल सम्राट होने के नाते वे जैसे भी हुए होंगे, लेकिन वे उर्दु के एक बहुत ही प्रसिद्घ कवि माने जाते थे। उनका कुछ ग़जल और शायरी 1857 के समय नष्ट हो गया लेकिन कुछ अब भी बाकी है जो "कुल्लियत्-इ-ज़फ़र" नाम से प्रकाशित किया गया। मिर्ज़ा ग़ालिब उनका सभाकवि तथा मित्र थे।