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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |संग्रह=}}रोना बेकार है
व्‍यर्थ है यह जलती अग्नि ईच्‍छाओं की।
सूर्य अपनी विश्रामगाह में जा चुका है।